बदन में आग - Badan Mein Aag (Hariharan, Dil Ki Baat) – (हिन्दी में लिरिक्स)
Movie/Album: दिल की बात (1990)
Music By: हरिहरन
Lyrics By: अहमद फ़राज़
Performed By: हरिहरन
बदन में आग से चेहरा गुलाब जैसा है
कि ज़हर-ए-ग़म का नशा भी शराब जैसा है
बदन में आग...
वो सामने है मगर तिश्नगी नहीं जाती
ये क्या सितम है कि दरिया सराब जैसा है
कि ज़हर-ए-ग़म...
कहाॅं वो क़ुर्ब के अब तो ये हाल है जैसे
तेरे फ़िराक़ का आलम भी ख़ाब जैसा है
कि ज़हर-ए-ग़म...
'फ़राज़' संग-ए-मलामत से ज़ख़्म-ज़ख़्म सही
हमें अज़ीज़ है खाना ख़राब जैसा है
कि ज़हर-ए-ग़म...
Music By: हरिहरन
Lyrics By: अहमद फ़राज़
Performed By: हरिहरन
बदन में आग से चेहरा गुलाब जैसा है
कि ज़हर-ए-ग़म का नशा भी शराब जैसा है
बदन में आग...
वो सामने है मगर तिश्नगी नहीं जाती
ये क्या सितम है कि दरिया सराब जैसा है
कि ज़हर-ए-ग़म...
कहाॅं वो क़ुर्ब के अब तो ये हाल है जैसे
तेरे फ़िराक़ का आलम भी ख़ाब जैसा है
कि ज़हर-ए-ग़म...
'फ़राज़' संग-ए-मलामत से ज़ख़्म-ज़ख़्म सही
हमें अज़ीज़ है खाना ख़राब जैसा है
कि ज़हर-ए-ग़म...