मदारी का बंदर - Madari Ka Bandar (Tochi Raina, Anuj Garg, Gulabo Sitabo) – (हिन्दी में लिरिक्स)
Movie/Album: गुलाबो सिताबो (2020)
Music By: अनुज गर्ग
Lyrics By: दिनेश पंत
Performed By: तोची रैना, अनुज गर्ग
बन के मदारी का बंदर
डुगडुगी पे नाचे सिकंदर
बन के मदारी का बंदर
डुगडुगी पे नाचे सिकंदर
खन खन खनके गिनती के सिक्के
साँसों की टकसाल में
मोह माया ने उलझाया किस फरेबी जाल में
खारे पानी में ढूँढे मीठा समंदर
अरे बन के मदारी का बंदर...
कीमत लगेगी ठाठ बाट की
एक बार चढ़नी है हांडी ये काठ की
कैसा करतब है, जाने क्या कब है
उंगली पे झूले नटनी घाट-घाट की
चढ़ा है जो सुरूर ये
मरघट के जमघट में
पल में उतर जायेगा
मिलता है जब वो कलंदर
डुगडुगी पे नाचे सिकंदर
बन के मदारी का बंदर...
साहेब को ज़िंदगी ने झटका दिया
लंगोटी से बाँधा और लटका दिया
साहेब को ज़िंदगी ने झटका दिया
लंगोटी से बाँधा और लटका दिया
मचेगा ऐसा हुल्लड़
बचेगा थोक ना फुटकर
लूटेगी बैरी बन के
खड़ा ना हो तू तन के
अरे हँस ले पगले थोड़ा सा
क्या रखा रोने में
लट्टू घूमें जंतर मंतर
जादू टोने में
दो गज़ जमीन पूछे कितने सवाल हैं
दो गज़ जमीन पूछे कितने सवाल
बन के मदारी का बंदर...
Music By: अनुज गर्ग
Lyrics By: दिनेश पंत
Performed By: तोची रैना, अनुज गर्ग
बन के मदारी का बंदर
डुगडुगी पे नाचे सिकंदर
बन के मदारी का बंदर
डुगडुगी पे नाचे सिकंदर
खन खन खनके गिनती के सिक्के
साँसों की टकसाल में
मोह माया ने उलझाया किस फरेबी जाल में
खारे पानी में ढूँढे मीठा समंदर
अरे बन के मदारी का बंदर...
कीमत लगेगी ठाठ बाट की
एक बार चढ़नी है हांडी ये काठ की
कैसा करतब है, जाने क्या कब है
उंगली पे झूले नटनी घाट-घाट की
चढ़ा है जो सुरूर ये
मरघट के जमघट में
पल में उतर जायेगा
मिलता है जब वो कलंदर
डुगडुगी पे नाचे सिकंदर
बन के मदारी का बंदर...
साहेब को ज़िंदगी ने झटका दिया
लंगोटी से बाँधा और लटका दिया
साहेब को ज़िंदगी ने झटका दिया
लंगोटी से बाँधा और लटका दिया
मचेगा ऐसा हुल्लड़
बचेगा थोक ना फुटकर
लूटेगी बैरी बन के
खड़ा ना हो तू तन के
अरे हँस ले पगले थोड़ा सा
क्या रखा रोने में
लट्टू घूमें जंतर मंतर
जादू टोने में
दो गज़ जमीन पूछे कितने सवाल हैं
दो गज़ जमीन पूछे कितने सवाल
बन के मदारी का बंदर...