क्या टूटा है अन्दर अन्दर - Kya Toota Hai Andar Andar (Mehdi Hasan, Hariharan) – (हिन्दी में लिरिक्स)
Movie/Album: लाजवाब (2009)/कहना उसे (1984)
Music By: नियाज़ अहमद
Lyrics By: फरहत शहज़ाद
Performed By: हरिहरन, मेहदी हसन
क्या टूटा है अन्दर-अन्दर क्यूॅं चेहरा कुम्हलाया है
तन्हा-तन्हा रोने वालों कौन तुम्हें याद आया है
क्या टूटा है अन्दर-अन्दर...
चुपके-चुपके सुलग रहे थे याद में उनकी दीवाने
इक तारे ने टूट के यारों क्या उनको समझाया है
क्या टूटा है अन्दर-अन्दर...
रंग बिरंगी इस महफ़िल में तुम क्यूॅं इतने चुप-चुप हो
भूल भी जाओ पागल लोगों क्या खोया क्या पाया है
क्या टूटा है अन्दर-अन्दर...
शेर कहाॅं है ख़ून है दिल का जो लफ़्ज़ों में बिखरा है
दिल के ज़ख़्म जला कर हमने महफ़िल को गरमाया है
क्या टूटा है अन्दर-अन्दर...
अब 'शहज़ाद' ये झूठ न बोलो वो इतना बेदर्द नहीं
अपनी चाहत को भी परखो गर इल्ज़ाम लगाया है
क्या टूटा है अन्दर-अन्दर...
Music By: नियाज़ अहमद
Lyrics By: फरहत शहज़ाद
Performed By: हरिहरन, मेहदी हसन
क्या टूटा है अन्दर-अन्दर क्यूॅं चेहरा कुम्हलाया है
तन्हा-तन्हा रोने वालों कौन तुम्हें याद आया है
क्या टूटा है अन्दर-अन्दर...
चुपके-चुपके सुलग रहे थे याद में उनकी दीवाने
इक तारे ने टूट के यारों क्या उनको समझाया है
क्या टूटा है अन्दर-अन्दर...
रंग बिरंगी इस महफ़िल में तुम क्यूॅं इतने चुप-चुप हो
भूल भी जाओ पागल लोगों क्या खोया क्या पाया है
क्या टूटा है अन्दर-अन्दर...
शेर कहाॅं है ख़ून है दिल का जो लफ़्ज़ों में बिखरा है
दिल के ज़ख़्म जला कर हमने महफ़िल को गरमाया है
क्या टूटा है अन्दर-अन्दर...
अब 'शहज़ाद' ये झूठ न बोलो वो इतना बेदर्द नहीं
अपनी चाहत को भी परखो गर इल्ज़ाम लगाया है
क्या टूटा है अन्दर-अन्दर...